Wednesday, May 6, 2009

लाडली की पुकार




















ऐ माँ मै आवाज तेरे अंतर्मन की
बोल रही किसी कोने से तन की
मत मार मुझे अपने गर्भ में जाई (माँ)
कल बनूँगी तेरी ही मै परछाई
मै हु तेरी बेटी लाडली
ना बनने दे मुझे अभिशाप या गाली
माँ तू तो ममता की मूरत है
फिर क्यो न प्यारी तुझे मेरी सूरत है
मै इतनी काबिल बनकर बढ़ाउंगी सम्मान तेरा
जग में ना होने दूंगी अपमान तेरा
माँ , मै सवारुंगी आने वाला कल तेरा
बस बचा ले तू जीवन देने वाला हर पल मेरा
मुझे देखने दे सुंदर दुनिया का नजारा
जीवन में बनूँगी बस मै ही तेरा सहारा
बसने दे तेरे आचंल में मेरे जीवन का बसेरा
मेरी ही सुनहरी किरणों से होगा नया सवेरा

1 comment:

Anonymous said...

exellent written by you Mr Ashok , kindly keep it up this attitude in ever your blog

Reshma